Beti Bachao Beti Padhao Essay- "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
हमारे देश में घटती हुई लिंगानुपात की समस्या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” (beti bachao beti padhao) योजना का शुभारम्भ 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में की गई | यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त पहल है |
Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi
जिसके अंतर्गत बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने हेतु वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार निम्न लिंगानुपात वाले प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश में से कम से कम एक ज़िले के साथ 100 जिलों का एक पायलट जिले के रूप में चयन किया गया | पर, इस वर्ष 8 मार्च 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुंझुनू जिले से “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” (beti bachao beti padhao essay) अभियान को देश भर मे लागू किया गया |
झुंझुनू जिला लिंगानुपात के मामले के देश का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला जिला है | 2011 में इस जिले का लिंगानुपात 837 था जो अब बढ़कर 955 हो चुका है |
इस योजना का उदेश्य बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन करना और बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करना है |
चूँकि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है इसलिए लड़कियों को लड़को के समान अधिकार नहीं मिल पता | दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा के कारण बेटियों को लोग बोझ समझते है |
इसलिए, बेटियों को माँ के गर्भ में ही लिंग जाँच कर हत्या कर दी जाती है | इसके अलावा अगर लड़कियां भ्रूण हत्या से बच जाती है तो उन्हें अशिक्षा और कुपोषण का शिकार बनना पड़ता है |
समाज की इन्हीं कुरीतियों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा एक सामाजिक योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ को चलाया जा रहा है | इसके लिए तमाम रणनीतियां बनाई गयी है.
जैसे बालिकाओं की भ्रूण हत्या को रोकने और उनकी शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाना, इस मुद्दे को सार्वजनिक विमर्श का विषय बनाना, स्थानीय महिला संगठनों और युवाओं की सहभागिता लेते हुए जागरूकता अभीयान चलाना, पंचायती राज्य संस्थाओं स्थानीय निकायों और जमीनी स्तर पर जुड़े कार्यकर्ताओं को प्रेरित एवं प्रशिक्षित कर इन्हें सामाजिक परिवर्तन के प्रेरक की भूमिका में ढालना, निम्न लिंगानुपात वाले जिलों में गहन और एकीकृत कार्यवाही करना और इसके अलावा सरकार द्वारा बजट की भी व्यवस्था की गई है, जैसे सुकन्या समृद्धि योजन आदि है |
‘बेटी बचाओ बेटी पढाओं’ ( Essay on beti bachao beti padhao) सिर्फ नारा नहीं है बल्कि भारत के सम्मान से जुड़ा हुआ मामला है | लोग बेटियों को कमजोर और असहाय समझते है | पर हमने देखा है कि जब भी उन्हें मौका मिला है चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो उन्होंने वहाँ अपना परचम लहराया है जैसे साइना नेहवाल, पी वी सिंधु, सुषमा स्वराज , साक्षी मलिक, सानिया मिर्ज़ा, कल्पना चावला आदि |
हमें यह नहीं भूलना चाहिए की पुरुष और महिला एक ही गाड़ी के दो पहिये है जो एक के बिना अधूरा है | किसी भी देश का विकास तभी संभव है जब वहाँ के पुरुष और महिला दोनों शिक्षित और ससक्त हो | अतः हम सब की यह ज़िम्मेदारी बनती है की हम बेटियों की आवाज को सुने और उन्हें भी समान अधिकार दे | ताकि वे समाज में ससक्त बन सके और समाज और देश को ससक्त बनाने में अपनी भूमिका निभा सके
"दो घरो की शान बढ़ाओ।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ।"
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