भारत की जनजातियाँ - भील, गोंड, संथाल, थारू, भोटिया, बुक्सा, मुंडा, खासी, नेकदा, उरांव
भारतीय संविधान अनुसूचित जनजाति को परिभाषित नहीं करता।
संविधान के अनुच्छेद 366
(25) के अनुसार, अनुसूचित जनजाति उन
समुदायों को कहा गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित किए गए
हों।
भारत में जनजातियों के निर्धारण के लिए उनके सांस्कृतिक
विशेषीकरण और विभिन्न आवास को आधार बनाया जाता है।
जनजातीय क्षेत्रों के अनुसार, देश को सात हिस्सों में बांटा गया है। (1) उत्तरी क्षेत्र, (2) पूर्वोत्तर क्षेत्र, (3) पूर्वी क्षेत्र, (4) मध्य क्षेत्र, (5) पश्चिमी क्षेत्र, (6) दक्षिणी क्षेत्र और (7) द्वीपीय क्षेत्र।
भारतीय उपमहाद्वीप की वर्तमान जनसंख्या को प्रजाति के आधार
पर वर्गीकरण डा. बी. एस. गुहा ने किया है। डा. गुहा का वर्गीकरण निम्न प्रकार है-
1. नेग्रिटो (Negrito) : अंडमान निकोबार की
जनजातियाँ एवं दक्षिण भारत के कदार,
इरूला एवं पनियान।
2. प्रोटो-आस्ट्रेलॉइड (Proto-Australoid): चेंचू मलायन, कुरम्बा, यरूबा, मुण्डा, कोल, संथाल और भील।
3. मंगोलाइड (Mongoloid): ये लोग उप-हिमालय प्रदेश, असोम और म्यांमार की
सीमा पर रहने वाले लोग तथा सिक्किम और भूटान में पाए जाते
हैं।
4. भू-मध्यसागरीय (Mediterranean): यह प्रजाति उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल और मालाबार
तट पर साधारण लोगों में पाई जाती है।
5. पश्चिमी चौड़े सिर वाली (Western Brachy Cephals) : यह प्रजाति सौराष्ट्र
(काठी), गुजरात (बनिया), पश्चिम बंगाल (कायस्थ), महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और गंगा के डेल्टा
में पूर्वी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।
6. नार्डिक (Nordics) : उत्तर पश्चिम भारत के
लोग।
भारत में कुल जनसंख्या का 8.6% जनजातियां पाई जाती हैं। इनकी सर्वाधिक
जनसंख्या मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा में पाई जाती है।
पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली तथा पुडुचेरी में
जनजातीय समुदाय नहीं पाए जाते हैं।
भारत का सबसे बड़ा जनजातीय समूह भील है, इसकी जनसंख्या 17071049 है। गोंड जनजातीय समूह
जनसंख्या (13256928) की दृष्टि से दूसरा बड़ा
जनजातीय समूह है। इसी प्रकार तीसरे एवं चौथे नंबर पर क्रमशः संथाल (6,570,807) तथा नेकदा (3.787,639) एवं पांचवें नंबर पर
उरांव (3,682,992) जनजातीय समूह है।
भारत की जनजातियाँ |
भारत की प्रमुख जनजातियां
थारू : थारू जनजाति उत्तराखंड के नैनीताल जिले से उत्तर
प्रदेश के गोरखपुर जिले के तराई क्षेत्र एवं बिहार के तराई क्षेत्र में निवास करती
है। ये हिंदू धर्म मानते हैं।
थारू जनजाति दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते हैं।
इनमें संयुक्त परिवार की प्रथा है। थारू किरात वंश के माने जाते हैं। थारू जनजाति
उत्तराखंड की सबसे बड़ी जनजाति है।
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भोटिया : यह जनजाति उत्तराखंड की पहाड़ियों में एवं उत्तर
प्रदेश के तराई क्षेत्रों में निवास करती है। भोटिया मंगोल प्रजाति के होते हैं।
भोटिया जनजाति ऋतु प्रवास करती है। भुटिया जनजाति सिक्किम, पश्चिम बंगाल एवं
त्रिपुरा में पाई जाती है।
जौनसारी : जौनसारी उत्तराखंड में स्थायी निवास करने वाली
कृषक जनजाति है। यह जनजाति उत्तर प्रदेश में भी पायी जाती है। इनमें बहुपति विवाह
प्रथा' पाई जाती है।
बुक्सा : यह जनजाति
उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी एवं गढ़वाल जिलों
में मुख्य रूप से तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में पाई जाती है। इन जनजातियों
में अनुलोम व प्रतिलोम विवाह प्रचलित है। बुक्सा जनजाति राजपूत वंश से संबंधित है।
राजी : यह जनजाति उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश में पाई जाती
है। स्थानीय रूप में इन्हें बनरौत भी कहा जाता है। इनका धर्म हिंदू है। इन
जनजातियों में कृषि की 'झूमिंग प्रथा' अति प्रचलित है।
खरवार : खरवार और खैरवार जनजाति उत्तर प्रदेश के देवरिया, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी एवं सोनभद्र
जिलों में निवास करती है। ये स्वभाव से अत्यंत क्रोधी एवं शारीरिक रूप से मजबूत
होते हैं। यह उत्तर प्रदेश की दूसरी बड़ी जनजाति है।
गद्दी : यह जनजाति पश्चिमी हिमालय की धौलाधार श्रेणी जो
हिमाचल प्रदेश के कांगडा तथा चंबा आदि जिलों में निवास करती है। धौलाधार श्रेणी
में गद्दी जनजाति प्राचीन जनजाति है। गद्दी स्वयं को गढ़वा (राजस्थान) शासकों के
वंशज मानते हैं।
धौलाधार श्रेणी की मुख्य जनजातियों में गद्दी, लद्दाखी, गुज्जर, बकरवाल, लाहोली, बारी आदि प्रमुख हैं।
गोंड : ये गोंडवानालैंड के मूल निवासी हैं जिस कारण इन्हें
गोंड कहा जाता है। यह जनजातीय समूह बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित) गुजरात में पाई जाती है। ये
लोग मुख्यतः आखेट तथा मछली पर निर्भर हैं।
गोंड जनजाति स्थानांतरी कृषि भी करते हैं। गोंड लोग कम
वस्त्र पहनते हैं, परंतु स्त्रियों को आभूषण
पहनने का बड़ा शौक है। पशुवलि इनकी महत्वपूर्ण प्रथा है। गोंड जनजातीय समूह उत्तर
प्रदेश का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है।
भील : भील शब्द की उत्पत्ति तमिल भाषा के विल्लुवर शब्द से
हुई है जिसका अर्थ होता है धनुषकारी।
यह प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड प्रजाति के हैं। यह जनजाति भारत के
गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र कर्नाटक, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना सहित राजस्थान
प्रांतों में अधिवासित है। भीलों की संस्कृति में धूमर नृत्य का विशेष महत्व है।
संथाल : ये जनजाति संथाल परगना क्षेत्र के मूल निवासी हैं।
जिस कारण इन्हें संथाल नाम से जाना जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, संथाल लोग बिहार, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा में
निवास करते हैं। इनकी शारीरिक रचना द्रविड़ लोगों से मिलती है।
मुंडा : यह जनजाति झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा एवं बिहार राज्यों में निवास करती है। मुंडा जनजाति
अनेक त्यौहार मनाती है, जिसमें भागे, फागु, कर्मा, सरहुल और सोहरई, प्रमुख हैं। सरहुल
त्यौहार मार्च-अप्रैल माह के दौरान मनाया जाता है। यह एक तरह के फूलों का त्यौहार
होता है।
कोरबा : कोरबा जनजाति मुख्यतः झारखंड एवं छत्तीसगढ़ में पाई
जाती हैं। यह जनजाति मुख्यतः जंगली कंद-मूल एवं शिकार पर निर्भर है। कुछ कोरबा
कृषक भी हैं।
कोल : बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में निवास करने वाली इस जनजाति
का प्रमुख व्यवसाय कृषि है।
मंगानियर : राजस्थान के रेगिस्तानों में निवास करने वाली
मुस्लिम जनजाति है। यह जनजाति अपनी संगीत परंपरा के लिए विख्यात है। पाकिस्तान के
सिंध प्रांत में भी ये काफी संख्या में पाए जाते हैं।
खासी : खासी जनजाति मुख्यतः उत्तरी-पूर्वी राज्यों मेघालय, असम एवं मिजोरम में निवास
करती है। यह जनजाति झूमिंग कृषि करती है।
टोडा यह जनजाति नीलगिरि की पहाड़ियों पर निवास करती है।
इन्हें टोडी और टुडा के नाम से भी जाना जाता है। इन लोगों का दावा है कि यह आर्यों
के वंशज हैं। इनका मुख्य व्यवसाय पशुचारण है। टोडा जनजाति में बहुपति विवाह प्रथा
प्रचलित है।
जारवा : भारत की सर्वाधिक आद्य जनजाति जारवा है। यह अंडमान
और निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिणी अंडमान द्वीप एवं मध्य अंडमान द्वीप पर निवास
करती है। इनके आवासीय क्षेत्रों को मानवीय गतिविधियों के लिए निषिद्ध घोषित कर
दिया गया था।
भारत में औंज जनजाति के लोग अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के
लघु अंडमान द्वीप के पश्चिमी हिस्से में अधिवासित हैं। ये नीग्रिटो प्रजाति के
हैं। शोम्पेन, सेंटीनेलीज जनजाति भी
अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में पाई जाती हैं। शोम्पेन जनजाति, ग्रेट निकोबार द्वीप में
पाई जाती है तथा ये मंगोलाइड प्रजाति के है। सेंटीनेलीज, उत्तरी सेंटीनेल द्वीप
में निवास करते हैं। ग्रेट अंडमानी जनजाति अंडमान द्वीप में पाये जाते हैं।
नागा जनजाति नगालैंड, मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश की जनजाति है। नागा जनजाति झूमिंग
कृषि करते हैं तथा अधिकांशतः नग्न अवस्था में पाए जाते हैं।
झारखंड की अन्य जनजातियों में उरांव, हो, भूमिज, खडिया, सोरिया, बिरहोर, खोंड, खरवार, असुर, बैगा आदि प्रमुख हैं।
राजस्थान की प्रमुख जनजातियों में भील, मीणा, सहरिया, गरासिया, दमोर, पटेलिया आदि प्रमुख हैं।
चांग्या तिब्बतीय प्रजातीय समूह की अर्थ खानाबदोश (Semi-nomadic) जाति, जो मुख्यतया लद्दाख (31 अक्टूबर, 2019 से केंद्रशासित प्रदेश)
के जारकर क्षेत्र में पाई जाती है।
भारत राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ
#01. अरूणाचल प्रदेश की
जनजातियाँ: आपातानी, डाफला, मिश्मी, सिंगपो
#02. आंध्र प्रदेश (तेलंगाना
सहित) की जनजातियाँ- बोडो गदाबा. बोंडो पोरोजा, चेंचू, येरुकाला, डोंगरिया कोंध, गुतोब गदाबा, खोंड पोरोजा, कोलम, कोंडारेड्डी, कोंडा सवरा, कुटिया खोंड, परेंगी पोरोजा, थोटी।
#03. बिहार (झारखंड सहित) की जनजातियाँ-
संथाल, मुण्डा, हो, बिरहोर, उराँव, कोरवा, खरिया,
माल-पहड़ियाँ, असुर, बिरहोर, बिरजिया, सौरिया पहाड़िया, परहिया, सवर।
#04. गुजरात की जनजातियाँ- भील, बंजारा, कोली, खारी, कथोडी, कोटवालिया, पढार, सिद्दी, कोलघा।
#05. कर्नाटक की जनजातियाँ- यारावा, नौकाडा, टूलू, कोदागू, जेनु कुरूबा, कोरगा।
#06. केरल की जनजातियाँ- उल्लाडा, मोपला, नायर, मलकारा, अलार, चोलनाइकन, कडार, कट्टनायकन, कुरुम्बा, कोरगा
#07. मध्यप्रदेश की जनजातियाँ- भील, अगरिया, कोल, कोरकू, कमार, बैगा, गोंड (गोड- देश का सबसे
बड़ा जनजातीय समूह)
#08. छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ- मुरिया, कवरढ़ा
#08. महाराष्ट्र की जनजातियाँ- कोली, बार्ली, कटकारिया (कठोडिया), कोलम, मारिया गोंड
#09. मणिपुर की जनजातियाँ- कुकि, मराम नागा
#10.ओडिशा की जनजातियाँ-बिरहोर, बोंडो, दिदाई, डोंगरिया-खोंड, जुआंग, खरिया, कुटिया कोंध, लनजिया, सौरा, लोधा, मनकीदिया, पौड़ी भुईया, सौरा, चुकटिया भूजिया।
#11.राजस्थान की जनजातियाँ- भील, मीणा, गरासिया, बंजारा, बागड़ी, रेबारी, सेहरिया,
#12. तमिलनाडु की जनजातियाँ- कट्टनायकन, कोटा, कुरूम्बा, इरूलर, पनियन, टोडा, बड़गा।
#13. त्रिपुरा की जनजातियाँ- रियांगा, त्रिपुरी।
#14. उ.प्र. (उत्तराखंड सहित) की जनजातियाँ-
जौनसारी, बुक्सा, भोटिया, थारू, खासा, बुक्सा, राजी।
#15. पश्चिम बंगाल की जनजातियाँ-बिरहोर, लोधा, टोटो, लोधा, भूमिज, असुर, महाली बंगाल।
#16. अंडमान और निकोबार की जनजातियाँ- सेंटीनेली, सेंटलीज, औजे,
जारवा, जारना, शोम्पेन, ग्रेट अंडमानी, जारवा, ओंगे (ओंजे).
#17. लक्षद्वीप की जनजातियाँ- मालमि
#18. सिक्किम की जनजातियाँ- लेप्चा
#19. पंजाब की जनजातियाँ- सांसी
#20. जम्मू- कश्मीर की जनजातियाँ- बकरवाल, गुज्जर, चौपान, वाटल।
#21. हिमालच प्रदेश की जनजातियाँ- गद्दी, किन्नौर, जद्दा, गुज्जर, प्रदेश पंगवाली।
#22. दादरा और नगर हवेली की जनजातियाँ-
बरली, कोली, कथोडिया।
#23. असोम की जनजातियाँ- लुशाई, बोजे, राभा, टागिन, करबी।
भारत : जनजातियों में विवाह का स्वरूप
1. प्रेत विवाह - न्यूर
2. परीक्षण विवाह - भील
3. राजी खुशी विवाह - हो
4. हरण विवाह - गोंड
5. परीविक्षा विवाह - कूकी
6. चुटकुटा विवाह - थारू
7. दुध लौटवा विवाह - गोंड
8. सेवा विवाह - खासी
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